मातृका पूजन

किसी भी शुभ कार्य प्रमुखतया विवाह संस्कार में षोडश मातृका पूजन निर्विघ्न कार्य सफलता के लिए गणेश पूजा के उपरांत किया जाता है। यह महदेवियों (माताओं) के आवाहन स्थापना से सम्बंधित है। मातृकाएँ सोलह होती हैं।

गौरी पद्मा शची मेधा सावित्री विजया जया।
देवसेना स्वधा स्वाहा मातरो लोकमातरः॥
धृतिः पुष्टिस्तथा तुष्टिरात्मनः कुलदेवता।
गणेशेनाधिका ह्येता वृद्धो पूज्याश्च षोडशः॥



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